Kargil Vijay Diwas 2024: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बलिदानियों को नमन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है। हमें अपने जवानों की वीरता पर गर्व है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के अदम्य साहस व शौर्य का लोहा पूरी दुनिया मानती है। कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।
Kargil Vijay Diwas: दुनिया मानती है भारतीय सेना का लोहा
आपको बता दें कि कारगिल युद्ध को 26 बरस हो चुके हैं। यह युद्ध शहीद जवानों के अदम्य साहस और उनके बलिदान का प्रतीक है। कारगिल को देश हमेशा याद रखेगा। कारगिल युद्ध के बाद भारत की सेना का लोहा पूरी दुनिया मानती है। इंडियन आर्मी के वीरता और बलिदान के लिए 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारतीय सेना ने कारगिल में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिये थे।
Kargil Vijay Diwas क्यों मनाया जाता है?
आज से लगभग 26 साल पहले 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान लद्दाख में भारतीय लड़ाकों ने पाकिस्तान को पटखनी दी थी। इस युद्ध में भारतीय सेना ने अपने 524 सैनिकों को खो दिया था, जिसमें अगर हम उत्तराखंड की बात करें तो 75 रणबांकुरों ने अपनों प्राणों की आहुति दी थी। वहीं इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के चार हजार से ज्यादा जवान मारे गए थे।
मुख्यमंत्री ने किए ये पांच बड़े एलान
- यह व्यवस्था की जा रही है कि बलिदानी के परिवार को मिलने वाली अनुदान राशि को पत्नी और परिवार में विभाजित किया जाए।
- बलिदानी के परिवार को मिलने वाली अनुदान राशि 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख की जाएगी।
- अभी तक शहादत का सर्टिफिकेट मिलने के दो वर्ष के भीतर नौकरी के लिए आवेदन करना होता था। इस अवधि को बढ़ाकर पांच वर्ष किया जाएगा।
- बलिदानी के परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी की व्यवस्था है। इसके लिए हर जिले के कलक्ट्रेट में समूह ग और घ के दो–दो पद सृजित किए गए थे। अब विभिन्न विभागों में कनिष्ठ सहायक और समूह ग के रिक्त पदों पर भी भर्ती की व्यवस्था की जाएगी।
- सैनिक कल्याण के संविदा कर्मियों को भी उपनल की ही तरह अवकाश अनुमन्य होगा।