E-Rickshaw Charging: ई-रिक्शा संचालक सरकार को हर महीना लाखों रुपए का चूना लगा रहे हैं। जनपद में हर महीने ई-रिक्शा की संख्या बढ़ रही है, लेकिन ई-रिक्शा चार्ज करने की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते ई-रिक्शा चालक घरेलू बिजली कनेक्शन से अपने ई-रिक्शा चार्ज कर विद्युत विभाग को प्रतिमाह लाखों रुपये का चूना लगा रहे हैं।
इसके बाद भी बिजली विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। परिवहन विभाग हल्द्वानी संभाग की बात करें तो नैनीताल और उधम सिंह नगर के अलावा चंपावत जनपद में करीब 20000 ई-रिक्शा पंजीकृत हैं। जबकि विभिन्न कंपनियों की 40 से अधिक ई-रिक्शा एजेंसी है।
लोग घरेलू बिजली से ई-रिक्शा चार्ज कर रहे हैं। उधम सिंह नगर में 14000 ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जबकि नैनीताल जनपद में 4000 से अधिक, जबकि चंपावत जनपद में 1000 ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं। नियमानुसार ई-रिक्शा की बिक्री व संचालन व्यावसायिक श्रेणी में आता है, इसलिए इसे चार्ज करने के लिए बिजली विभाग से कामर्शियल कनेक्शन लेना जरूरी है, लेकिन लोग ऐसा नहीं कर रहे हैं।
घरेलू और कमर्शियल बिजली की दरों में ₹4 से लेकर ₹ 8 प्रति यूनिट का अंतर है। घरेलू कनेक्शन से ई-रिक्शा चार्ज करने पर बिजली विभाग को हर महीने लाखों रुपए का चूना लग रहा है।
एक ई-रिक्शा की चार्जिंग में एक बार में लगभग 5 से 7 यूनिट बिजली खर्च होती है। ऐसे में करीब 20000 ई-रिक्शा हर दिन 100000 से अधिक यूनिट बिजली की खपत कर रहे हैं।
विद्युत निगम के अनुसार शहर में उपभोक्ताओं ने बिजली का व्यावसायिक कनेक्शन करा रखा है, लेकिन कहीं भी ई-रिक्शा चार्जिंग के इंतजाम नहीं हैं।
इस पूरे मामले में संभागीय परिवहन अधिकारी संदीप सैनी ने बताया कि शासन स्तर पर शहरों में इलेक्ट्रिक चार्जिंग लगाने का प्रस्ताव है। गढ़वाल मंडल के कुछ जगहों पर चार्जिंग स्टेशन बनाए गए हैं, जबकि कुमाऊं मंडल में इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाया जाना प्रस्तावित है।
विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता नवीन मिश्रा ने बताया कि ई-रिक्शा के लिए यदि कोई चार्जिंग स्टेशन लगाना चाहता है तो विद्युत विभाग उसका सहयोग करेगा। उन्होंने कहा की चालकों को भी आदेश दिया गया है कि ई-रिक्शा कमर्शियल विद्युत कनेक्शन से ही चार्ज करें।
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