Patient Referral Policy: सरकारी अस्पतालों के बीच बेहतर तालमेल व मरीजों की सुविधा के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने एक रेफरल नीति जारी की है, इसके तहत अब किसी अस्पताल के डॉक्टर किसी गंभीर मरीज को ऐसे ही दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित कर उसे अपने हाल पर नहीं छोड़ सकते हैं। पहले डॉक्टर्स को दूसरे अस्पताल के नोडल अधिकारी से बात करनी होगी, बेड की उपलब्धता होने पर ही दूसरे अस्पताल में मरीज को डॉक्टर स्थानांतरित कर सकेंगे।
अब मरीज नहीं भटकेंगे इधर-उधर
दून अस्पताल के चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि पहली बार दून अस्पताल के बीच रेफरल सिस्टम की नीति तैयार कर दिशा-निर्देश जारी हुआ है। यदि इस रेफरल नीति का ठीक से पालन हुआ तो गंभीर मरीज इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकने को मजबूर नहीं होंगे। रेफरल नीति के अनुसार, मेडिकल कॉलेज से जुड़े बड़े अस्पताल (तृतीय श्रेणी के अस्पताल) किसी मरीज को दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित नहीं कर सकते हैं। ऐसे अस्पताल मरीज को तभी स्थानांतरित करेंगे, जब उस अस्पताल में संबंधित बीमारी के इलाज की सुविधा नहीं होगी। स्थानांतरित करने से पहले अस्पताल के नोडल अधिकारी या विभागाध्यक्ष को स्थानांतरित किए जाने वाले अस्पताल के नोडल अधिकारी या विभागाध्यक्ष से बात करनी होगी।
अस्पताल से करनी होगी बातचीत
जिला स्तर के मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल अपनी क्षमता व दक्षता के अनुसार लिंक अस्पताल में ही मरीज को स्थानांतरित करेंगे। स्थानांतरित करने से पहले लिंक अस्पताल से बातचीत करनी होगी। अस्पताल में पहुंचे गंभीर मरीज को पहले रिससिटेशन व प्राथमिक उपचार देकर मरीज की हालत स्थिर करनी होगी।
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