Dehradun News: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के आवासीय और व्यवसायिक भवनों के जीआईएस सर्वे में तमाम कमियां सामने आई हैं। यहां 80 हजार से ज्यादा भवनों की गलत मैपिंग की गई है। कहीं दो मंजिला भवन को एक मंजिला दर्शाया गया है तो कहीं व्यवसायिक भवन को आवासीय दिखाया गया है। अब नगर निगम की टीम सर्वे को दुरुस्त करने की मांग कर रही है।
बता दें कि देहरादून के अलावा, रुद्रपुर, हल्द्वानी और हरिद्वार में ड्रोन के जरिये जियोग्राफिक इन्फॉरमेशन सिस्टम (GIS) आधारित सर्वे कराया जा रहा है, जिसका मकसद जियो टैगिंग के सभी प्रॉपर्टी की इंटरनेट के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराना है। इससे निगम अधिकारियों के साथ ही संबंधित व्यक्ति भी अपनी प्रॉपर्टी को ऑनलाइन देख सकता है। इससे टैक्स चोरी रोकने समेत अन्य तरह के फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
15 वार्डों का हो रहा सर्वे
देहरादून में करीब साढ़े तीन लाख व्यवसायिक और आवासीय भवनों का सर्वे हो रहा है। अभी 100 वार्डों में से करीब 15 वार्डों का सर्वे हो रहा है। करीब तीन लाख भवनों के सर्वे में तमाम खामियां सामने आ रही हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, 15 से 30 प्रतिशत तक भवनों की मैपिंग ठीक से नहीं की गई। यह सर्वे ड्रोन और सेटेलाइट मैपिंग से की गई थी।अब सर्वे का सत्यापन करने और त्रुटियां बताने में नगर निगम के कर विभाग को पसीना बहाना पड़ रहा है। वहीं, काम में देरी के चलते इस योजना का उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पा रहा है।
नगर आयुक्त गौरव कुमार के मुताबिक, जीआईएस कंसोर्टियम कंपनी को सर्वे का जिम्मा सौंपा गया है। विभिन्न जगहों पर 15 से लेकर 30 प्रतिशत भवनों की मैपिंग में खामियां देखने को मिली हैं। इन्हें कंपनी ठीक करा रही है।
40 प्रतिशत क्षेत्र में हुआ ड्रोन सर्व
सैन्य क्षेत्र से तीन किलोमीटर की दूरी में ड्रोन नहीं उड़ाने की वजह से 40 प्रतिशत क्षेत्र में ही ड्रोन सर्वे हो पाया है। बाकी 60 प्रतिशत क्षेत्र में सेटेलाइट सर्वे किया गया है।
2021 से चल रहा सर्वे
यह सर्वे 2021 से चल रहा है। इसे पूरा करने की अवधि कई बार बढ़ाई जा चुकी है। खामियों को भी ठीक करने में अभी समय लग सकता है। सर्वे को दिसंबर महीने तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।