Constitution Murder Day: संविधान का काला दिवस कहे जाने वाले आपातकाल यानी इमरजेंसी को केंद्र सरकार की तरफ से संविधान हत्या दिवस के रूप में याद किए जाने की घोषणा की गई है। आपको बता दें कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक कांग्रेस से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में उस समय के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा देश में आपातकाल घोषित किया गया था और अब हर वर्ष 25 जून को इस दिन संविधान हत्या दिवस के रूप में याद किया जाएगा।
पीएम के आभारी हैं हम- प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट
संविधान हत्या दिवस को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि अब आने वाली पीढ़ी भी इस बात को ध्यान रखेगी कि कांग्रेस ने 25 जून को क्या किया था। हम प्रधानमंत्री के आभारी हैं कि इस कदम से आने वाली पीढ़ी को याद रहेगा कि लोकतंत्र की हत्या किसने की थी।
राहुल गांधी से घबरा रही भाजपा
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने पलटवार करते हुए कहा कि अब जब राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन के हाथ में संविधान की किताब है और बाबा भीमराव अंबेडकर का नाम उनके मुंह पर है, उससे भाजपा घबरा गई है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को 10 वर्ष के शासनकाल में इस काला दिवस को मनाने की याद नहीं आई थी।
25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’
केंद्र सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला लिया है। 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने को लेकर भारत सरकार की ओर से एक अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। अधिसूचना में कहा गया है, “25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी, उस समय की सरकार ने सत्ता का घोर दुरुपयोग किया था। भारत के लोगों को देश के संविधान और भारत के मजबूत लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है। इसलिए भारत सरकार ने आपातकाल की अवधि के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग का सामना और संघर्ष करने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया है।”
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