Astronomical Phenomenon: उत्तराखंड के आसमानों में दिवाली होने के करीब डेढ़ महीने बाद आतिशबाजी जैसा नजारा दिखाई देगा। दिसंबर महीने में सौर मंडल से होने वाली यह भव्य आतिशबाजी जेमिनीड उल्कापात की होगी। इस दौरान आसमान में एक साथ कई उल्का टूटते तारों की तरह नजर आएंगे।
खगोल वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि उल्कापातों की अवधि कुछ घंटों से लेकर हफ्तों भर तक भी होती है। दिसंबर महीने में होने वाला उल्कापात लगातार तीन सप्ताह तक चलता है। आसमान में तारों की बारिश का नजारा पूरी दुनिया में देखा जा सकता है।
13-14 दिसंबर के बीच इसकी सर्वाधिक गतिविधि होगी। उल्कापात देखने का समय रात 1 बजे से सुबह 6 बजे के बीच होगा। 14 दिसंबर को तड़के ढाई बजे ये चरम पर रहेगा।
जेमिनी तारामंडल से लिया गया है नाम
जेमिनी तारामंडल से जेमिनीड नाम लिया गया है। इसी तारामंडल से ही जेमिनीड उल्कापात की शुरुआत होती है। इसलिए इसको यह नाम दिया गया।
उल्कापात साल भर अलग-अलग नाम से होते हैं। दिसंबर में गिरने वाले जेमिनीड उल्कापात को सबसे अच्छा और लगातार दिखने वाला उल्कापात माना जाता है।
आम बोलचाल में लोग आसमान में उल्कापात दिखने पर उसे टूटता तारा कह देते हैं, लेकिन यह गलत है। इसका तारे के टूटने से कोई लेना-देना नहीं है। धूमकेतु जो पहले कभी पृथ्वी के करीब से गुजरा होगा, उसके द्वारा छोड़े गए मलबे के बादल से आने वाला एक छोटा पत्थर या धूलकण है।
जब यह कण पृथ्वी के वायुमंडल में एंट्री करता है तो घर्षण के कारण वह जलने लगता है। ज्यादातर कण बहुत छोटे होते हैं, ऐसे में ये मुश्किल से एक सेकंड से भी कम समय तक प्रकाश की एक लकीर जैसे दिखाई देते हैं।
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