मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से आज सचिवालय में गुरुद्वारा श्री हेमकुंट साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने भेंट की। नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने मुख्य सचिव को जानकारी दी कि गुरुद्वारा ट्रस्ट द्वारा 25 मई 2024 को तीर्थ स्थल हेमकुंट साहिब जी की यात्रा का शुभारंभ तथा 10 अक्टूबर 2024 को कपाट बंद किए जाने की तिथि घोषित कर दी गई है। राज्य सरकार ने भी इस पर अपनी सहमति दे दी है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि सरकार हेमकुंड साहिब यात्रा का पूर्ण सहयोग करेंगी।
आपको बता दें कि श्री हेमकुंड साहिब पर्यटन स्थल हिमालय पर्वत के बीचो-बीच उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। हर साल भारी संख्या मे सिखों द्वारा इस पवित्र तीर्थ स्थल का दर्शन किया जाता है। हेमकुंड साहिब को “लेक ऑफ स्नो” भी कहा जाता हैं और यह दुनिया का सबसे ऊंचे स्थान पर बना गुरुद्वारा हैं जिसकी ऊँचाई समुद्र तल से 4633 मीटर है। हेमकुंड साहिब पर्यटन स्थल चारों तरफ से बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच स्थित है। श्री हेमकुंड साहिब गुरद्वारे को हेमकुंट साहिब के नाम से भी जाना जाता है। हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे के आस पास कई झरने, हिमालय का मनोरम दृश्य और घने जंगल हैं, जो ट्रेकिंग के लिए लोगों को बहुत भाते है। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा वह स्थान है जो गुरु गोविन्द सिंह जी की आत्मकथा से सम्बंधित हैं और बर्फ से ढंकी सात पहाड़ियों के लिए भी जाना जाता हैं।
हेमकुंड साहिब के इतिहास का पता सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह की आत्मकथा मे मिलता हैं। उनकी आत्मकथा में यह स्थान लगभग दो शताब्दियों से अस्पष्ट और अछूता बताया गया है। यहाँ के स्थानीय निवासी इस झील के प्रति बहुत आस्था रखते थे। संतोख सिंह (1787-1843) जो एक सिख इतिहासकार और कवि थे। उन्होंने अपनी शानदार कल्पना के साथ दुश दामन की कहानी का वर्णन किया है। जिसका अर्थ “दुष्टों का वशीकरण” होता हैं। यह भी माना जाता हैं कि इस स्थान पर गुरु गोविन्द सिंह ने ध्यान किया था। सिख समुदाय के सामूहिक प्रयास से यहाँ एक भव्य गुरुद्वारा बनाया गया है जिसे वर्तमान में हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के नाम से जाना जाता हैं।