Brahm Kapal: आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। पितृ पक्ष में बड़ी संख्या में श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंच रहे हैं। मान्यता है कि बद्रीनाथ धाम स्थित ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ब्रह्मकपाल के पुरोहित ने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसी मान्यता है कि ब्रह्म हत्या के पाप के मुक्ति के लिए भगवान शिव तीनों लोक घूमे, अंत में बद्रीनाथ धाम के ब्रह्मकपाल में ज्यों ही पहुंचे त्यों ही यह सिर त्रिशूल से छूट गया और यह तीर्थ ब्रह्मकपाल कहलाया।
यहां पर पितरों को मोक्ष मिलता है, इस वजह से बद्रीनाथ धाम को मोक्ष धाम भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी अपने पितरों का यहां पर पिंडदान करता है, उसके बाद उसे कहीं और पिंडदान और तर्पण करने की जरूरत नहीं होती।
बद्रीनाथ मंदिर से लगभग 200 मीटर की दूरी पर ब्रह्मकपाल तीर्थ स्थित है, जो अलकनंदा नदी के किनारे है। इस तीर्थस्थल को कपाल मोचन तीर्थ भी कहा जाता है।
पितृपक्ष में ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने का बहुत ही विशेष महत्व होता है। पितृ पक्ष में कौआ, गाय और कुत्ते को भोजन कराया जाता है। इसके साथ ही चावल की खीर बनाई जाती है।
चावल को देवताओं का अन्न माना जाता है। देवताओं और पितरों को चावल प्रिय है। इसलिए यह पहला भोग होता है। चावल, जौ और काले तिल का पिंडा बनाया जाता है और उसे भी पितरों को चढ़ाया जाता है।
श्री बद्रीनाथ धाम के पुरोहित बताते हैं कि वंश वृद्धि के लिए पितरों का पूजन करना चाहिए, प्रथम पिंड गया से प्रारंभ होता है और अंतिम पिंडदान बद्रीनाथ ब्रह्मकपाल में किया जाता है।
ब्रह्मकपाल वो तीर्थ है जिस तीर्थ में ब्रह्मा की भी हत्या होने के बाद भगवान शंकर पर ब्रह्म हत्या लग गई। ब्रह्मा का एक सिर कट गया और यहीं बद्रीनाथ ब्रह्मकपाल में उनके त्रिशूल से छूट पड़ा, यानी कि ब्रह्म हत्या का पाप भी पूर्ण हो गया।
महाभारत में तो ये भी कहा गया है कि ब्रह्मकपाल क्षेत्र के दर्शन से ही पितृ खुश हो जाते हैं। आज से पितृ पक्ष की शुरूआत हो रही है। देश-विदेश से लोग अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए बद्रीनाथ धाम पहुंच रहे हैं।
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