Joshimath Land-Subsidence Treatment Scheme: जोशीमठ भू–धसाव ट्रीटमेंट योजना 17 माह बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई है। इससे आपदा प्रभावित लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। जनवरी 2023 में भू–धसाव के बाद जोशीमठ के ट्रीटमेंट, विस्थापन व पुनर्वास का कार्य धरातल पर नहीं उतर पाया है।
जोशीमठ की खिसकती जमीन पर सियासत ने नहीं रखे पैर
वर्ष 2023 में जोशीमठ में हुए भू-भसाव त्रासदी का मुद्दा देश और दुनिया में छाया रहा, लेकिन लोकसभा चुनाव और अब बद्रीनाथ विधानसभा उपचुनाव में यह चुनावी परिदृश्य से नदारद है। शायद जोशीमठ की खिसकती जमीन पर सियासत पैर नहीं रखना चाहती। आपदा से जोशीमठ नगर पर संकट के बादल छाए हुए हैं। चुनावी समर में ताल ठोंक रहे दलों के लिए यह सियासी मुद्दा ही नहीं है।
सरकार के धनराशि देने के बावजूद धरातल पर नहीं उतरी योजना
हालांकि, विपक्ष की ओर से कभी-कभार जोशीमठ आपदा का जिक्र अवश्य किया जाता है। वर्ष 2023 में आई इस आपदा के राहत और कार्यों पर 2024 में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता प्रभावी रही। वहीं, अब बद्रीनाथ विधानसभा उपचुनाव की आचार संहिता के संकेत दिए जा रहे हैं। जोशीमठ आपदा के बाद इस नगर को बचाने के लिए लोकसभा चुनाव से पूर्व केंद्र सरकार द्वारा धनराशि भी स्वीकृत की जा चुकी है। इसके बावजूद योजनाओं को धरातल पर नहीं उतारा जा रहा है।
Joshimath Land-Subsidence Treatment Scheme पर आचार संहिता प्रभावी
जोशीमठ आपदा के बाद लोगों की सुरक्षा के लिए की गई घोषणाओं के अनुरूप सुरक्षात्मक कार्य शुरू कराने में आचार संहिता को प्रभावी होना बताया गया। चुनाव से पहले राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने जोशीमठ में प्रभावितों की बैठक में कहा था कि जोशीमठ नगर के चिह्नित 14 डेंजर जोन से 1200 परिवारों को हटाया जाना है। विस्थापन के लिए भूमि का चयन भी कर लिया गया है।
Joshimath Land-Subsidence Treatment Scheme पर उठे सवाल
भार वहन क्षमता का आंकलन किए बिना जोशीमठ नगर में सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर रोक लगाने का दावा किया गया, लेकिन न केवल सेना, आईटीबीपी, एनटीपीसी, हेलंग बाईपास के निर्माण कार्य धड़ल्ले से चल रहे हैं, बल्कि निजी निर्माण कार्य भी जारी हैं। अब सवाल उठ रहा है कि जोशीमठ ट्रीटमेंट के कार्य आखिरकार धरातल पर क्यों नहीं उतर पा रहे हैं। यह भी सवाल उठ रहा है कि जोशीमठ में चल रहे निर्माण कार्यों से जोशीमठ की भार वहन क्षमता पर क्या कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
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एक तरफ जोशीमठ के महत्वपूर्ण कार्यालयों तहसील, थाना व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आदि को नगर की सीमा से सटे सुरक्षित क्षेत्रों में विस्थापित करने की योजना पर काम हो रहा है। वहीं, आपदा प्रभावितों का भविष्य क्या होगा, इस पर मंथन ही चल रहा है। अब चुनाव आचार संहिता समाप्त हो गई है। इस दौरान जोशीमठ के भविष्य को लेकर क्या होमवर्क होगा, इसका खुलासा तो होगा ही। मुख्यमंत्री द्वारा प्रभावित सदस्यों को शामिल करते हुए कमेटी का गठन करने व उनकी राय व सुझाव को प्राथमिकता दिए जाने के आश्वासन पर कब तक फैसला होगा, यह आने वाला समय बताएगा।
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जोशीमठ के प्रभावित इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा चिह्नित 14 डेंजर जोन क्या वास्तव में खाली कराए जाएंगे। देखना होगा कि आचार संहिता के खत्म होने की अधिकारिक घोषणा के बाद राज्य सरकार जोशीमठ को लेकर कब तक सक्रिय होती है।