उत्तराखंड में वन विभाग जंगलों की आग को लेकर कई चुनौतियों से जूझ रहा है। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक के जंगल धू-धू कर चल रहे हैं। वन विभाग ने अब अगजनी की चुनौतियों को देखते हुए शरारती तत्वों से कड़ाई से निपटने का फैसला किया है।
दरअसल, उत्तराखंड में वन विभाग ने अब तक 196 केस दर्ज किए हैं। यह केस जंगलों में आग लगाने वालों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। इसमें 23 आग की घटनाएं ऐसी हैं, जिन्हें लगाने वालों का वन विभाग ने पता लगा लिया है। इन मामलों में 29 लोगों को नामजद किया गया है, जबकि 167 केस अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं।
बता दें, खास बात यह है कि इस बार वन विभाग ने जंगलों में आग के लिए सीधे तौर पर डीएफओ को जिम्मेदार बताया है। साथ ही जंगलों में लगने वाली आग के लिए डीएफओ को खुद मौके पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, उत्तराखंड में आग की घटना से अब तक दो लोग झुलस चुके हैं। इसमें से एक शख्स की मौत होने की सूचना है। हालांकि, अभी विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
उत्तराखंड राज्य में जंगलों में लगी आग अब विकराल रूप लेती जा रही है। उत्तराखंड प्रशासन आग को बुझाने की पूरी कोशिश कर रहा है। आग को बुझाने के लिए सेना व NDRF की भी मदद ली गई है। प्रशासन आग लगाने वाले अराजकतत्वों को भी खोज रही है। वन विभाग की टीम ने रविवार को अलग-अलग क्षेत्रों से आग लगाने वाले पांच आरोपियों को पकड़ा था। इनमें से एक आरोपी नेपाली का मजदूर है।
डीएफओ गढ़वाल वन प्रभाग स्वप्निल अनिरूद्ध ने बताया कि रविवार को पौड़ी रेंज के तहत खिर्सू में आरक्षित वनों को आग से बचाने के लिए फॉरेस्टर जगदीश नेगी व उनकी टीम गश्त पर तैनात थी। इसी दौरान टीम ने पांच लोगों को खिूर्स के पास आरक्षित वन में आग लगाते हुए रंगेहाथ पकड़ लिया था। पकड़े गए आरोपियों के नाम मोसार आलम, नाजेफर आलम, फिरोज आलम, नुरूल व शालेम है। सभी बिहार के रहने वाले हैं।