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सत्संग या मौत का दरबार… कैसे गई सैकड़ों लोगों की जान? पढ़ें पूरी कहानी

Hathras Stampede Baba: हाथरस में सत्संग हुआ या मौत का दरबार लगा? यह सवाल ऐसा है, जिसकी चर्चा आज पूरा देश कर रहा है। इस सत्संग में सैकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है, जबकि कई आज भी जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं...
Hathras Stampede Baba: सत्संग या मौत का दरबार... कैसे गई 100 से ज्यादा लोगों की जान... पूरी कहानी

Hathras Stampede Baba: सत्संग एक संस्कृत का शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है… सत् = सत्य, संग= संगति… इस शब्द का अर्थ तो बहुत अच्छा है, लेकिन जब इसका गलत इस्तेमाल हो तो…. जी हां, यूपी के हाथरस में ऐसा ही कुछ हुआ। मंगलवार को मौत का ‘सत्संग’ देखने को मिला। इस हादसे में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।

कहते हैं बारिश में आंसू भी छिप जाते हैं। फिलहाल यूपी के हाथरस में कई लोगों के साथ ऐसा ही हो रहा है। बारिश हो रही है… आंखों से भी… और आसमान से भी… लेकिन आंखों से निकलने वाले आंसुओं पर आसमान की बारिश भारी पड़ रही है।

सत्संग में पहुंचे दो लाख से ज्यादा लोग

हादसे के बारे में और अधिक जानकारी लेने के लिए हम उस जगह पर पहुंचे, जहां पर बाबा का दरबार लगता है, जहां बाबा सत्संग करते हैं। मंगलवार को भी भोले बाबा नाम के शख्स ने सत्संग किया। दो लाख से ज्यादा लोग पहुंचे। बाबा अपनी वाणी से सबको प्रभावित कर रहा था। बाबा लोगों को ज्ञान दे रहा था।

करोड़ों रुपये की कार और लाखों रुपये के गद्दे पर बैठकर बाबा लोगों से मोह-माया छोड़ने की बात कर रहा था। सभी उन्हें ध्यान से सुन रहे थे। बाबा खुद AC की ठंडी हवा का मजा ले रहे थे, लेकिन खेत में जमीन पर बैठकर भाषण सुनने वाले लोगों को पंखा भी नसीब नहीं हुआ।

बाबा का भाषण, जिसे आप सत्संग भी कह सकते हैं, चलता रहा। बाबा ने कुछ घंटों के बाद अपना कार्यक्रम खत्म किया। बाबा अपनी महंगी कार में बैठे… उनके पीछे उनके सिक्योरिटी गार्ड भी दौड़े। खुद को भगवान का अवतार बताने वाले बाबा को सिक्योरिटी गार्ड्स की क्या जरूरत, ये सवाल किसी के मन में नहीं आया।

Hathras Stampede Baba: लोगों में मची भगदड़

बाबा कार में बैठकर निकले ही थे …. लोगों में भगदड़ मच गई। भगदड़ थी बाबा के चरणों पर लगी मिट्टी को छू लेने की…. लोग गिरने लगे… एक के ऊपर एक… देखते ही देखते सब कुछ ठहर सा गया। एक के ऊपर एक … और ये संख्या बढ़ती गई… नीचे वाले शख्स की सांसें रुकने लगी… कुछ लोगों की मुंह और नाक में मिट्टी और कीचड़ चला गया। सांसें रुक चुकी थी… जिंदगी थम चुकी थी… पास खड़े गांव के कुछ लड़के मौके पर मौजूद थे… सबसे मदद करने की कोशिश की, लेकिन तब तक कई लोग अपनी जान गंवा चुके थे।

लाशों को उठाया गया। जब गिनना शुरू किया तो ये संख्या तीन डिजिट में पहुंच चुकी थी, लेकिन मेडिकल की भाषा में एक बात है… जब तक डॉक्टर किसी को मृत घोषित नहीं करता उसे मृतक नहीं माना जाता है। ये हुआ था मंगलवार को… अगले दिन हम भी मौके पर पहुंचे।

जब हम मौके पर पहुंचे तो नजर आए खेत। खेतों में पानी खड़ा था। कई गांव वाले मौके पर मौजूद थे। कई पत्रकार भी पहुंचे थे। हम भी उन्हीं में से एक थे। चप्पलें बिखरी पड़ी हुई थीं, लेकिन अफसोस इन चप्पलों को पहनने वाले अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनकी मौत हो गई है।

200 से ज्यादा लोगों की मौत होने का दावा

एक शख्स से बात की तो उनका कहना था कि बाबा आए… बाबा को देखने के लिए लोग भागे। लोग बाबा के चरणों की धूल को लेना चाह रहे थे। इस शख्स ने दावा किया कि 200 से ज्यादा लोग गिर गए। कई मर चुके थे। गांव के करीब 20-30 लड़के आए और मदद में जुट गए। हाथ से इशारा करते हुए उसने बताया कि ये वो जगह है, जहां पर सबसे ज्यादा शव थे।

फिलहाल इस जगह पर चप्पलें हैं। कुछ सामान बिखरा हुआ है। बारिश की वजह से खेत में पानी भरा हुआ है। हल्की बारिश से कीचड़ हो गया है। गांव के एक लड़के ने कहा कि बाबा दावा करते हैं कि उनके पास सुदर्शन चक्र है, बाबा विष्णु के अवतार हैं, लेकिन बाबा ने ये सब इस्तेमाल क्यों नहीं किया? नाराजगी और गुस्सा युवा के चेहरे पर साफ देखा जा सकता था।

‘बाबा को फांसी हो’

एक शख्स ने गुस्से में कहा कि बाबा दावा करते हैं कि वो पानी के छिड़काव से कैंसर ठीक कर देते हैं। सब बकवास है…. शख्स ने साथ ही मांग की कि बाबा को जल्द से जल्द फांसी होनी चाहिए। वहीं, FIR में बाबा का नाम न होने पर शख्स ने कहा कि ये सरकार की गलती है। हम बाबा को दोषी मानते हैं। उन्हें सजा होनी चाहिए। ये हादसा बहुत बड़ा है। 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को इस हादसे के बाद कई घायलों और मृतकों को अस्पताल लाया गया।

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सिपाही की हार्ट अटैक से मौत

उत्तर प्रदेश के एटा में मेडिकल कॉलेज में लाशों के ढेर को देखकर ड्यूटी पर तैनात सिपाही को हार्ट अटैक आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। सिपाही क्यूआरटी अवागढ़ में तैनात था। उसे मेडिकल कॉलेज आपात ड्यूटी पर बुलाया गया था। इतनी लाशें देखकर वह बर्दाश्त न कर सका और उसे हार्ट अटैक आ गया। सिपाही मूल रूप से अलीगढ़ जिले के बन्ना देवी थाना क्षेत्र के सिद्धार्थनगर का रहने वाला था। सिपाही का नाम रजनीश बताया जा रहा है।

इस बाबा का नाम नारायण साकार विश्व हरि है, जिसे उसके भक्त भोले बाबा कहते हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि ये पुलिस में था। इस पर रेप का आरोप लगा। ये जेल में भी रहा है। इसकी आखिरी पोस्टिंग आगरा के आसपास बताई जाती है। बाबा के बारे में लोगों का कहना है कि ये कासगंज का रहने वाला है।

Hathras Stampede Baba: 40 साल पहले हुई थी शादी

बता दें कि 40 साल पहले बाबा की शादी हुई थी। बाबा की खुद की कोई संतान नहीं है। कुछ साल पहले बाबा ने अपने भाई की बच्ची को गोद दिया था। बच्ची की मौत हो गई तो बाबा ने दावा किया कि वो बच्ची को जिंदा कर देगा। इसके बाद बाबा को जेल जाना पड़ा।

बाबा ने हादसे के दो दिन बाद जारी किया बयान

हादसे के दो दिन बाद बाबा की ओर से एक बयान जारी किया गया है। इसमें उन्होंने कहा कि हम मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं और परमात्मा से घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील डॉ. एपी सिंह को भगदड़ मचाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ लीगल एक्शन के लिए अधिकृत किया गया है। बाबा ने कहा कि मैं 2 जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ में आयोजित किए गए सत्संग के समाप्त होने के तुरंत बाद निकल गया था।

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सत्संग के आयोजकों के खिलाफ FIR

बता दें, हाथरस भगदड़ मामले में यूपी पुलिस ने सत्संग के आयोजकों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। आरोप है कि इस कार्यक्रम में 80000 लोगों के जुटने की अनुमति थी, लेकिन ढाई लाख लोग इस सत्संग में आए थे। हालांकि, FIR में भोले बाबा का नाम दर्ज नहीं है। FIR में आरोप लगाया गया है कि आयोजकों ने अनुमति मांगते समय सत्संग में आने वाले भक्तों की असल संख्या छिपाई, ट्रैफिक मैनेजमेंट में मदद नहीं की और भगदड़ के बाद कई लोगों की जान गई।

LIU की रिपोर्ट को किया गया नजअंदाज

मंगलवार को सिकंदराराऊ कोतवाली क्षेत्र के फुलराई गांव में भोले बाबा के सत्संग का आयोजन किया गया था। इस सत्संग में उम्मीद से कहीं ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए। सत्संग में पहुंचे श्रद्धालुओं की इस संख्या को देखकर लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) ने किसी बड़ी घटना का अंदेशा जताया था और इसकी रिपोर्ट बनाकर अफसरों को सौंपी थी। इसके बाद भी अफसरों ने संज्ञान नहीं लिया।

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