Ratan Tata Nano Car: रतन टाटा आज इस दुनिया में नहीं हैं। उन्होंने बुधवार रात मुंबई में आखिरी सांस ली। वे 86 साल के थे। उन्होंने फोर्ड का घमंड तोड़ने के साथ ही देश के लोगों को सबसे सस्ती कार की सौगात दी, जिसका नाम नैनो रखा गया। इस कार के निर्माण में उत्तराखंड का भी अहम योगदान रहा।
पंतनगर प्लांट में तैयार हुई नैनो कार
ऊधमसिंहनगर जिले के पंतनगर में टाटा का प्लांट है। नैनो के निर्माण में इस प्लांट की बड़ी भूमिका रही। प्लांट ने तय समय पर कार का निर्माण कर टाटा के भरोसे को कायम रखा।
नैनो कार ने बाइक पर चलने वाले लोगों का खुद की कार होने का सपना पूरा किया। पश्चिम बंगाल के सिंगूर में विवाद हो गया, जिसके बाद रतन टाटा ने पंतनगर प्लांट को चुना। यहां वे कार का उत्पादन देखने खुद पहुंचे थे।
रतन टाटा खुद आए थे टाटानगर प्लांट
दरअसल, सिंगूर में नैनो प्लांट का काम अक्टूबर 2008 में विवाद की वजह से रोकना पड़ा। इसके बाद रतन टाटा ने मिनी ट्रक बनाने वाले पंतनगर प्लांट में नैनो कार का उत्पादन शुरू किया। टाटा 16 अप्रैल, 2009 को स्पेशल विमान से पंतनगर प्लांट आए। इसी प्लांट में नैनो कार बनकर तैयार हुई।
रतन टाटा ने पंतनगर प्लांट में बनाकर तैयार हुई नैनो कार के मालिक अशोक विचारे को जुलाई 2009 में अपने हाथ से चाबी सौंपी थी। हालांकि, 2010 में गुजरात के सानंद में स्थित प्लांट में नैनो कार को तैयार किया गया।